Greater Noida Kisan Mahapanchayat: किसानों की 64.7% मुआवजा और Jewar Toll Free की मांग पर आज सूरजपुर में होगी बड़ी पंचायत

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Greater Noida Kisan Mahapanchayat: उत्तर प्रदेश के Greater Noida में किसानों का आक्रोश एक बार फिर सड़क पर दिखने वाला है। Surajpur District Headquarters पर आज यानी शुक्रवार को Kisan Mahapanchayat आयोजित की जा रही है, जिसमें सैकड़ों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर पहुंचेंगे। यह महापंचायत Bhartiya Kisan Union (BKU) के बैनर तले बुलाई गई है। किसानों का कहना है कि वर्षों से उनकी प्रमुख मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इनमें 64.7 प्रतिशत मुआवजा (compensation), Circle Rate में वृद्धि, 10 प्रतिशत आवंटित प्लॉट, Jewar Toll Free, और पुनर्वास नीति में संशोधन जैसी अहम मांगें शामिल हैं।


किसानों ने बताया कि Yamuna Authority Area के जिन गांवों की भूमि Jewar Airport, Expressway और Industrial Projects के लिए अधिग्रहित की गई थी, उन्हें अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिला है। साथ ही, Airport Displaced Villages के लिए बनाई गई पुनर्वास नीति में कई खामियां हैं, जिन्हें तुरंत सुधारा जाना जरूरी है। किसानों ने कहा कि प्रशासन और सरकार से बार-बार Memorandum देने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में यह Mahapanchayat सरकार को चेतावनी देने का काम करेगी कि अगर मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।


Greater Noida Kisan Mahapanchayat में Gautam Buddh Nagar, Bulandshahr, Aligarh, Hapur, और Baghpat जिलों से भी किसान शामिल हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि 17 अक्टूबर को सूरजपुर Kisan Ekta का प्रतीक बनेगा। वे Circle Rate Hike को लेकर अड़े हुए हैं, क्योंकि इससे भूमि अधिग्रहण या बिक्री के समय उन्हें बेहतर मूल्य और न्यायसंगत मुआवजा मिलेगा। साथ ही, Jewar Toll Free Demand किसानों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, क्योंकि टोल शुल्क उनके रोजमर्रा के खर्च पर असर डाल रहा है।


प्रशासन ने इस महापंचायत को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है। Heavy Police Deployment सूरजपुर जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों में की गई है। प्रमुख चौक-चौराहों पर Police Checking Points स्थापित किए गए हैं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यह महापंचायत शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से की जाएगी। उनका उद्देश्य सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना और लंबित मुद्दों का शीघ्र समाधान कराना है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार किसानों की इन पुरानी मांगों पर कोई ठोस कदम उठाती है या आंदोलन और तेज होगा।

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